ये शाम नहीं मंत्र मुग्ध करते लम्हों की कशिश है। ये शाम नहीं मंत्र मुग्ध करते लम्हों की कशिश है।
सुबह का तो हाल ही मत पूछो, उसे चेहरा तुम्हारा नहीं भूलता, सोया सा मासूम सा,आखें मलते देखती थी तुम सुबह का तो हाल ही मत पूछो, उसे चेहरा तुम्हारा नहीं भूलता, सोया सा मासूम सा,आखें ...
अँधेरी रातों को झुठला, हँसता है सूरज सुबह सवेरे सुख दुःख आते जाते रहते, अँधेरी रातों को झुठला, हँसता है सूरज सुबह सवेरे सुख दुःख आते जाते रहते,
अफसोस ,चाची अभी तक सुबह देख ही नहीं पाई। अफसोस ,चाची अभी तक सुबह देख ही नहीं पाई।
माँ ओ मेरी माँ बहुत याद आती है। माँ ओ मेरी माँ बहुत याद आती है।
सड़कें कभी सुस्ताती नहीं भीड़ में और भीड़ के बाद भी रहती हैं ये सड़कें। सड़कें कभी सुस्ताती नहीं भीड़ में और भीड़ के बाद भी रहती हैं ये सड़कें।